Cell Biology Notes

Hello Friends, आज Wifigyan.comआप सभी लोगो के लिए Bilogy विषय से एक बहुत ही महत्वपूर्ण टॉपिक लेकर आये है जिसका नाम है Cell Biology Notes [ कोशिका विज्ञानं के बारे में विस्तार से जाने ] यह टॉपिक हर परीक्षा में पूछा जाता है| Cell एक बहुत ही मत्वपूर्ण Topic है जिससे हर साल SSC और अन्य परीक्षाओ में प्रश्न पूछे ही जाते है| Cell Biology Notes में हम आप लोगो को Cell के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दूंगा, जैसे की कोशिका क्या होता है और कोशिका के कितने प्रकार होता है|

Cell Biology Notes
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Cell Biology Notes [ कोशिका विज्ञानं के बारे में विस्तार से जाने ]

What is Cell:-

Cell सजीवों के शरीर की रचनात्मक और क्रियात्मक इकाई है और प्राय: स्वत: जनन की सामर्थ्य रखती है। यह विभिन्न पदार्थों का वह छोटे-से-छोटा संगठित रूप है जिसमें वे सभी क्रियाएँ होती हैं जिन्हें सामूहिक रूप से हम जीवन कहतें हैं।

‘कोशिका’ का अंग्रेजी शब्द सेल (Cell) लैटिन भाषा के ‘शेलुला’ शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ ‘एक छोटा कमरा’ है। कुछ सजीव जैसे जीवाणुओं के शरीर एक ही कोशिका से बने होते हैं, उन्हें एककोशकीय जीव कहते हैं जबकि कुछ सजीव जैसे मनुष्य का शरीर अनेक कोशिकाओं से मिलकर बना होता है उन्हें बहुकोशकीय सजीव कहते हैं। कोशिका की खोज रॉबर्ट हूक ने 1665 ई० में किया।1839 ई० में श्लाइडेन तथा श्वान ने कोशिका सिद्धान्त प्रस्तुत किया जिसके अनुसार सभी सजीवों का शरीर एक या एकाधिक कोशिकाओं से मिलकर बना होता है तथा सभी कोशिकाओं की उत्पत्ति पहले से उपस्थित किसी कोशिका से ही होती है।

कोशिका विज्ञान:-

जीवद्रव्य:-

  • जीवद्रव्य का नामकरण पुरकिंजे (Purkenje) के द्वारा सन 1839 ईo में किया गया|
  • यह एक तरल गाढ़ा रंगहीन, पारभासी, वजन्युक्त पदार्थ है, जीव की सारी जैविक क्रियाये इसी के द्वारा होती है| इसीलिये जीवद्रव्य (Protoplasm) को जीवन का भौतिक आधार कहते है|
  • जीवद्रव्य दो भागों में बंटा होता है-
  1. कोशिका द्रव्य (Cytoplasma):- यह कोशिका में केन्द्रक एवं कोशिका झिल्ली के बीच रहता है|
  2. केन्द्रक द्रव्य (Nucleoplasm):- यह कोशिका के केन्द्रक के अन्दर रहता है|
  • जीवद्रव्य का 99% भाग निम्न चार तत्वों से मिलकर बना होता है-
  1. ऑक्सीजन (76%)
  2. कार्बन (10.5%)
  3. हाइड्रोजन (10%)
  4. नाइट्रोजन (2.5%)
  • जीवद्रव्य का लगभग 80% भाग जल होता है|
  • जीवद्रव्य में अकार्बनिक एवं कार्बनिक यौगिक का अनुपात 81 : 19 का होता है|

कोशिका (Cell):-

  • Cell जीवन की सबसे छोटी कार्यात्मक एवं संरनात्मक इकाई है|
  • कोशिका के अध्धयन के विज्ञान को Cytology कहा जाता है|
  • सबसे छोटी कोशिका जीवाणु Mycoplasm Gallisepticuma की है|
  • कोशिका शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम अंग्रेज वैज्ञानिक राबर्ट हुक ने सन 1665 ईo में किया था|
  • सबसे बड़ी कोशिका शुतुरमुर्ग के अंडे की कोशिका है|
  • सबसे लम्बी कोशिका तंत्रिका-तंत्र की कोशिका है|
  • कोशिका सिध्दांत का प्रतिपादन 1838-39 ईo शलइडेन और श्वान ने किया है|

कोशिका सिध्दांत की मुख्य वाते इस प्रकार है-

  1. प्रत्येक जीव की उत्पत्ति एक कोशिका से होती है|
  2. प्रत्येक जीव का शरीर एक या अनेक कोशिकाए का बना होता है|
  3. कोशिका का निमार्ण जिस क्रिया से होता है, उसमे केन्द्रक मुख्य अभिकर्ता (Creator) होता है|
  4. प्रत्येक कोशिका एक स्वाधीन इकाई है तथापि सभी कोशिकाए मिलकर काम करती है| फलस्वरूप एक जीव का निमार्ण होता है|

Cell Biology Notes [ कोशिका विज्ञानं के बारे में विस्तार से जाने ]

Type of Cell:-

कोशिका दो प्रकार की होती है-

  1. प्रोकैरियोटिक (Procaryotic)
  2. यूकैरियोटिक (Euocaryotic)

1.प्रोकैरियोटिक कोशिका:- इन कोशिकाओ में हिस्टोन प्रोटीन नहीं होता है जिसके कारण क्रोमैटिन नहीं बन पाता है| केवल DNA का सूत्र ही गुणसूत्र के रूप में पड़ा रहता है ;अन्य कोई आवरण इसे घेरे नहीं रहता है| अतः केन्द्रक नाम की कोई विकसित कोशिकांग इसमे नहीं होता है| जीवाणुओ एवं नील हरित शैवालो में एसी ही कोशिकाए मिलती है|

2.यूकैरियोटिक कोशिका :- इन कोशिकाओ में दोहरी झिल्ली  के आवरण, केन्द्रक आवरण से घिरा सुस्पष्ट केन्द्रक पाया जाता है, जिसमे DNA व हिस्टोन प्रोटीन के संयुक्तहोने से बनी क्रोमैटिन तथा इसके आलावा केंद्रिका (Nucleolus) होते है|

कोशिका के मुख्य भाग:-

1.कोशिका भित्ति (Cell wall):

यह केवल पादप कोशिका में पाया जाता है | यह सुलुलोज का बना होता है| यह कोशिका को आकृति एवं आकार बनाये रखने में सहायक होता है| जीवाणु का कोशिका भित्ति peptidogylcan का बना होता है|

2.कोशिका झिल्ली (Cell membrane):

कोशिका के सभी अवयव एक पतली झिल्ली के द्वारा घिरे रहते है, इस झिल्ली को कोशिका झिल्ली कहते है| यह अर्ध्दपारगम्य झिल्ली (Semipermeable membrane) होती है|इसका मुख्य कार्य कोशिका के अन्दर जाने वाले एवं अन्दर से बाहर आने वाले पदार्थो का निर्धारण करना है|

3.तारककाय (Centrosome):-

इसकी खोज बोबेरी ने की थी| यह केवल जंतु कोशिकाओ में पाया जाता है| Centrosome के अन्दर एक या दो कण जैसी रचना होती है, जिन्हें centriole कहते है| समसूत्री विभाजन में यह ध्रुव का निर्माण करता है

4.अन्तः प्रदव्य जालिका (Endoplasmic reticulum):

एक ओर यह केन्द्रक झिल्ली से व दूसरी ओर कोशिका कला से सम्बध्द होता है| इस जालिका के कुछ भागों पर किनारे-किनारे छोटी-छोटी कणिकाए लगी रहती है, जिन्हें रिबोसोम कहते है| E. R. का मुख्य कार्य उन सभी वसाओ व प्रोटीनो का संचरण (Transportation) करना है, जो कि विभिन्न झिल्लियो जैसे- कोशिका झिल्ली, केन्द्रक झिल्ली आदि का निर्माण करते है|

5.राइबोसोम (Ribosome):

सर्वप्रथम राबिन्सन एवं ब्राउन ने 1953 ईo पादप कोशिका में तथा जी o ई o पैलाडे ने 1955 ई o में जंतु कोशिका में राइबोसोम को देखा और 1958 में राबर्ट ने इसका नामकरण किया| यह (Ribonucleic acid–RNA) नामक अम्ल व प्रोटीन की बनी होती है| यह प्रोटीन संश्लेष्ण के लिए उपयुक्त स्थान प्रदान करती है अर्थात यह प्रोटीन का उत्पादन स्थल है| इसीलिए इसे प्रोटीन की फैक्ट्री भी कहा जाता है|

नोट: स्तनी के लाल रुधिरकण में राइबोसोम एवं अन्तःपरद्रव्य जालिका नहीं पाया जाता है| लाल रुधिरकण द्वारा प्रोटीन विश्लेषण नहीं होता है|

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6.माइटोकांड्रिया (Mitochondria):-

इसकी खोज ऑल्टमैन ने 1886 ई o में की थी| बेंडा ने इसका नाम माइटोकांड्रिया दिया| यह कोशिका का श्वसन स्थल है| कोशिका में इसकी संख्या निश्चित नहीं होती है| ऊर्जायुक्त कार्बनिक पदार्थो का Oxidation माइटोकांड्रिया में होता है, जिसमे काफी मात्रा में ऊर्जा प्राप्त होती है| इसलिए माइटोकांड्रिया के कोशिका का शक्ति केंद्र कहते है| इसे यूकैरियोटिक कोशिकाओ के भीतर प्रोकैरियोटिक कोशिकाए माना जाता है|

नोट: DNA केन्द्रक के अलावे माइटोकांड्रिया एवं हरित लवक में पाया जाता है|

7. गाल्जीकाय (Golgi body):-

इसकी खोज कैमिलो गाल्जी (इटली) नामक वैज्ञानिक ने की थी| यह सूक्ष्म नालिकाओ (Tubules) के समूह एवं थैलियो का बना होता है|

गाल्जी काम्लेक्स में कोशिका द्वारा संश्लेषित प्रोटीनो व अन्य पदार्थो की पुटीकाओ के रूप में पैकिंग की जाती है| ये पुटिकाओ गंतव्य स्थान पर उस पदार्थ को पहुंचा देती है|यदि कोई पदार्थ कोशिका से बाहर स्त्रावित होता है तो उस पदार्थ वाली पुटीकए  उसे कोशिका झिल्ली के माध्यम से बाहर निलकवा देती है| इस प्रकार गल्जिकाय को हम कोशिका के अणुओ का यातायात-प्रबंधक भी कह सकते है| ये कोशिका-भित्ति एवं लाइसोसोम का निर्माण भी करते है| गाल्जी काम्लेक्स में साधारण शर्करा से कार्बोहायड्रेट का संश्लेषण होता है जो राइबोसोम में निर्मित प्रोटीन से मिलकर ग्लैकोप्रोटीन बनता है|

8. लाइसोसोम (Lysosome):-

इसकी खोज डी-डूवे नामक वैज्ञानिक ने की थी| यह सूक्ष्म,गोल, इकहरी, झिल्ली से घिरी थैली जैसी रचना होती है| इसका सबसे प्रमुख कार्य बाहरी पदार्थो का भक्षण एवं पाचन करना है| इसमें 24 प्रकार के एंजाइम पाए जाते है| इसे आत्मघाती थैली भी कहा जाता है|

नोट:- स्तनधारियो के लाल रक्तकणिका में लाइसोसोम नहीं पाया जाता है|

9. लवक (Plastid):-

यह केवल पादप कोशिका में पाए जाते है| यह तीन प्रकार के होते है-

a.) हरित लवक (Chloroplast)

b.) अवर्णि लवक (Leucoplast)

c.) वर्णी लवक (Chromoplast)

a.) हरित लवक:- यह हरा रंग का होता है, क्योकि इसके अन्दर एक हरे रंग का पदार्थ पर्णहरित (Cholorophyll) होता है| इसी की सहायता से पौधा प्रकाश-संश्लेषण करता है और भोजन बनता है, इसलिए हरित लवक को पादप कोशिका की रसोई कहते है|

नोट:- पत्तियों का पीला उनमे कैरोटिन के निर्माण होने के कारण होता है|

b.) अवर्णि लवक:- यह रंगहीन लवक है| यह पौधे के उन भागों की कोशिकाओ में पाया जाता है, जो सूर्य के प्रकाश से वंचित है, जैसे कि जड़ो में, भूमिगत तनों आदि में ये भोज्य-पदार्थो का संग्रह करने वाला है|

c.) वर्णी लवक:- ये रंगीन लवक होते है, जो प्रायः लाल, पीले, नारंगी, रंग के होते है| ये पौधे के रंगीन भाग जैसे पुष्प, फलभित्ति, बीज आदि में पाए जाते है|

वर्णी लवक के अन्य उदाहरण: टमाटर में लाईकोपेन (Lycopene), गाजर में कैरोटिन (Carotine), चुकंदर में बीटानीन (betanin)

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10. रसधानी (Vacuoles):-

यह कोशिका की निर्जीव रचना है| इसमें तरल पदार्थ भरी होती है| जंतु कोशिकाओ में यह अनेक व बहुत छोटी होती है, परन्तु पादप कोशिका में प्रायः बहुत बड़ी और केंद्र में स्थित होती है|

11. केन्द्रक (Nucleus):-

यह कोशिका का सबसे प्रमुख अंग होता है| यह कोशिका के प्रबंधक के समान कार्य करता है| केन्द्रक द्रव्य में धगेनुमा पदार्थ जाल के रूप में बिखरा दिखलाई पड़ता है, इसे क्रोमैटीन कहते है, यह प्रोटीन एवं DNA (Deoxy Ribonuclic Acid) का बना होता है| कोशिका विभाजन के समय क्रोमैटिन सिकुड़कर अनेक मोटे व छोटे धागे के रूप में संगठित हो जाते है| इन धागों को गुणसूत्र (Chromosome) कहते है| प्रत्येक जाति के जीवधारियो में सभी कोशिकाओ के देन्द्रक में गुणसूत्र की संख्या निश्चित होती है, जैसे मानव में 23 जोड़ा, चिम्पाजी में 24 जोड़ा, बन्दर में 21 जोड़ा

प्रत्येक गुणसूत्र में जेली के समान एक गाढ़ा भाग होता है, जिसे मैट्रिक्स कहते है| मैट्रिक्स में दो परस्पर लिपटे महीन एवं कुंडलित सूत्र दिखलाई पड़ते है, जिन्हें क्रोमोनिमेटा कहते है, प्रत्येक क्रोमोनिमेटा एक अर्ध्दगुणसूत्र कहलाता है| इस प्रकार प्रत्येक गुणसूत्र दो क्रोमैटीडो का बना होता है| दोनों क्रोमैटीड एक निश्चित स्थान पर एक-दुसरे से जुड़े होते है, जिसे सेंट्रोमियर कहते है|

गुणसूत्रों पर बहुत से जीन स्थित होते है, जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक लक्षणों को हस्तान्तरित करते है और हमारे आनुवंशिक गुणों के लिए उत्तरदायी होते है| चूँकि ये जीन गुणसूत्रों पर स्थित होते है एवं गुणसूत्रों के माध्यम से ही पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तान्तरित होते है, इसलिए गुणसूत्रों को वंशागति का वाहक कहा जाता है|

क्रोमैटिन के अलावा केन्द्रक में एक सघन गोल रचनाये दिखलाई पड़ती है| इसे केंद्रिका (Nucleolus) कहते है| इसमे राइबोसोम (Ribosome) के लिए RNA (Ribonuclic Acid) का संश्लेषण होता है|

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