पृथ्वी पर लगातार बढ़ रहे तापमान को देखते हुए विश्व भर के ताकतवर देशों ने मिलकर एक संगठन तैयार किया किया था। जिसको सीओपी (COP) का नाम दिया गया। हाल में ही संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन 26 (COP -26) का आयोजन किया गया है। इस आयोजन के द्वारा विश्व के अनेक देशों के नेताओं ने अलग-अलग प्रकार के बातों को बताया जो पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक है। पीओपी के विषय में आज के लेख के द्वारा हम आपको विस्तार पूर्वक जानकारी देंगे और साथ ही यह भी बताएंगे कि भारत की ओर से पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए कौन-कौन से बातें रखी गई हैं। आइए शुरू करते हैं और आपको पर्यावरण को बचाने के लिए संगठित किए गए सीओपी (COP) के विषय में जानकारी दें।
COP -26 In Hindi सीओपी 26 क्या है?
वर्ष 2021 में हाल में ही सीओपी-26(COP-26)का वार्षिक संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन आयोजित किया गया है। इस समारोह में देश शिखर सम्मेलन और पार्टियों के सम्मेलन में भाग लेने वाले उन सभी देशों ने हिस्सा लिया (जिन्होंने सन 1994 में लागू हुए एक संधि जिसे जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन कहां जाता है।) उस पर संयुक्त रूप से हस्ताक्षर किए हैं।
हाल में ही आयोजित हुए सीओपी (COP) शिखर सम्मेलन का 26 वा संस्करण का आयोजन हुआ है। यह सम्मेलन यूनाइटेड किंगडम और इटली के बीच संयुक्त रुप से आयोजित किया गया था। सीओपी (COP) का 26 वां शिखर सम्मेलन ग्लासगो में 1 से 12 नवंबर 2021 को आयोजित किया गया था। वर्ष 2020 में कोरोना महामारी के कारण इसका आयोजन नहीं हो सका था। यूके और इटली के बीच साझेदारी में आयोजित हुए इस सीओपी (COP)शिखर सम्मेलन के 26 वें संस्करण में अलग-अलग देश के नेताओं के द्वारा पर्यावरण को सुरक्षित रखने हेतु अनेकों वचन दिए गए। भारत की ओर से इस सम्मेलन में कुछ वादे भी दिए गए हैं। आइए जानते हैं कि भारत के प्रधानमंत्री के द्वारा कौन-कौन से वादे सीओपी-26 (COP 26)में शिखर सम्मेलन में किए गए हैं।
COP 26 में भारत की ओर से किए गये पांच वादे:-
सीओपी (COP) शिखर सम्मेलन के 26 वें संस्करण में भारत ने भी हिस्सा लिया और भारत के प्रधानमंत्री के द्वारा पर्यावरण को सुरक्षित रखने तथा अगले आने वाले भविष्य में पर्यावरण से प्रदूषण कम करने के लिए अनेक वादे किए गए। नीचे हम आपको भारत की ओर से किए गए कुछ खास वादों के विषय में जानकारी दे रहे हैं।
- भारत की ओर से यह वादा किया गया है कि विश्व के गरीब देशों को और भी मजबूत बनाने और अक्षय ऊर्जा जैसे सोने कार्बन की मात्रा तथा उनके उपयोग की ओर बहने में मदद करने की बात कही गई है। आपको बता दें कि यूके और इटली में आयोजित हुए इसे शिखर सम्मेलन के चांसलर ने यूनाइटेड किंगडम को दुनिया का पहला शुद्ध सोने वित्तीय केंद्र बनाने के अपने इरादे को भी मंजूरी दी।
- भारत की ओर से वर्ष 2030 तक भारत में उपस्थित वनों की कटाई को समाप्त करने की प्रतिज्ञा पर हस्ताक्षर किए गए हैं। भारत के साथ-साथ कनाडा, ब्राजील, रूस, चीन, और इंडोनेशिया जैसे 100 देशों से अधिक देशों ने इस प्रतिज्ञा पर हस्ताक्षर किया है। इस प्रतिज्ञा में लगभग 20 बिलियन डॉलर धनराशि (सार्वजनिक और निजी रूप में) शामिल किए गए हैं।
- परिवहन के द्वारा उत्सर्जित होने वाले अपशिष्ट पदार्थ जो वातावरण को दूषित करते हैं इन प्रदूषण को कम करने के लिए 100 से अधिक राष्ट्रीय सरकारों, शहरों, राज्य और प्रमुख व्यवसाय में 100%शून्य उत्सर्जन कारों और वैन में प्रदूषण की कमी को तेज करने के लिए एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किया है। भारत ने वादा किया है कि वर्ष 2040 तक में वैश्विक स्तर पर नई कारों और वाहनों का बिक्री शुरू हो जाएगी जो शून्य उत्सर्जन से परिपूर्ण होंगे।
- भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2030 तक कम कार्बन बिजली के लिए लक्ष्य रखा है और वर्ष 2070 तक सभी ग्रीन हाउस गैसों में शुद्ध शून्य लक्ष्य निर्धारित किया है।
- कई देशों ने एक साथ मिलकर लैंगिक असमानता और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों की समस्याओं का समाधान करने के लिए यूनाइटेड किंगडम तथा भारत जैसे अनेक देशों द्वारा 165 मिलीयन यूरो के वित्तपोषण को देने का वचन दिया गया है। सीओपी-26 (COP 26)संस्करण सम्मेलन में लिंग और जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर प्रतिज्ञा करने पर सहमति व्यक्त की गई है। इन समितियों में भारत ने भी हस्ताक्षर किए हैं।
सीओपी (COP) शिखर सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य क्या है?
- विश्व के विकसित और विकासशील देशों के नेताओं के द्वारा पर्यावरण को सुरक्षित और उनकी रक्षा करने तथा जलवायु परिवर्तन से होने वाली समस्याओं से लड़ने हेतु उठाए जाने वाले सकारात्मक कदम ही सीओपी (COP) शिखर सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य है।
- पूरे विश्व में अनेकों ऐसे नेता तथा नागरिक रह चुके हैं जिनके कहानियों से पता चलता है कि वह अपने कार्यों से विश्व के जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण की रक्षा के लिए सकारात्मक कदम उठाए हैं और जिसका एक सकारात्मक प्रभाव विश्व के पर्यावरण और जलवायु पर देखा गया है।
- सीओपी (COP) शिखर सम्मेलन के अंतर्गत विश्व भर के नेताओं एवं पर्यावरण विद्वानों के द्वारा मौजूदा समय में ऊर्जा का स्रोत और बेहतर कौन-कौन से विकल्प हो सकते हैं और इन्हें किस प्रकार से उपयोग किया जा सकता है इनके विषय पर भी चर्चा की जाती है।
ऊपर लेख में आपने पढ़ा होगा कि हमने शून्य लक्ष्य के विषय में बात की है। क्या आपको यह पता है कि यह शून्य लक्ष्य क्या है और यह पर्यावरण के लिए किस प्रकार से उपयोगी है। अगर नहीं, इस लेख को आप पूरा अवश्य पढ़ें और पर्यावरण को सुरक्षित एवं प्रदूषण से मुक्त करने में अपनी राय दे और पर्यावरण को सुरक्षित रखने हेतु बेहतर कार्य करें।
शुद्ध शून्य क्या है?
प्रत्येक देश के द्वारा औद्योगिक रूप से उत्सर्जित होने वाले प्रदूषण जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं। उन सभी प्रदूषण कारकों को कम करने की प्रक्रिया को ही शुद्ध शून्य कहा जाता है। इसके लिए दुनिया भर के बड़ी बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों के द्वारा धन अर्जित किए जाते हैं और गरीब देशों को नेट शून्य बनाने के लिए सहायता प्रदान की जाती है।
जलवायु परिवर्तन क्या है और इसे हम कैसे रोक सकते हैं।
गरीब देशों के द्वारा अपनी आजीविका को चलाने के लिए विभिन्न प्रकार के कल कारखानों का उपयोग किया जाता है। जिससे वातावरण में प्रदूषण बढ़ता है और वातावरण में ग्रीन हाउस गैसों का स्तर पर जाता है। लगातार ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा बढ़ने से जलवायु परिवर्तन होने लगता है। ग्रीन हाउस गैसों में जलवा, कार्बन डाइऑक्साइड और मेथेन गैस की उपलब्धता होती है। ग्रीन हाउस गैस में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड गैस काफी खतरनाक और प्रचुर मात्रा में होते हैं। यह कार्बन डाइऑक्साइड कोयले द्वारा संचालित होने वाली कंपनियों के दोनों से वातावरण में फैलते हैं। इसी समस्याओं को दूर करने के लिए सी ओ पी का गठन किया गया और गरीब देशों की मदद करने हेतु आर्थिक स्थिति भी उपलब्ध कराई गई।
जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा को कम करने की आवश्यकता है। इसके लिए हम दो तरीके अपना सकते हैं जो निम्न है।
- औद्योगिक प्रक्रियाओं में, बिजली के उत्पादन में, परिवहन तथा गहन कृषि जैसी गतिविधियों में उत्पन्न होने वाले हानिकारक गैसें की मात्रा को कम किया जाए। या इसके लिए कोई बेहतर विकल्प जोड़ा जाए।
- वातावरण में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा को कम करने के लिए अधिक से अधिक वृक्षों का रोपण किया जाना चाहिए।
मौजूदा समय में ग्लोबल वार्मिंग से बचने के लिए हमारे पास केवल यही दो तरीके हैं। निकट भविष्य में संभवतः अनेक विकल्प उपस्थित होंगे।पर्यावरण को बचाने तथा निकट भविष्य में ऊर्जा के प्रमुख स्रोत हेतु आपके क्या विचार हैं। कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
आज के इस लेख में हमने आपको वायुमंडल को सुरक्षित रखने तथा वायुमंडल में पाई जाने वाली हानिकारक ग्रीन हाउस गैसों के द्वारा पड़ने वाले प्रभाव (जिसके द्वारा जलवायु परिवर्तन होता है) के विषय में जानकारी दी। साथ ही साथ हमने आपको यह भी बताया कि जलवायु परिवर्तन की बढ़ती गंभीरता को देख कर विकसित देशों के प्रमुख नेताओं के द्वारा प्रत्येक वर्ष सीओपी (COP) शिखर सम्मेलन किया जाता है।
वर्ष 2021 में 1 से 12 नवंबर तक सीओपी (COP)का 26 वां शिखर सम्मेलन संस्करण ग्लास्गो में यूके और इटली के बीच साझेदारी पर आयोजित किया गया था। इस सम्मेलन में भारत की ओर से वर्ष 2030-40 तक देश को शुद्ध शून्य करने हेतु लक्ष्य रखा गया हैं। आपकी राय हमारे लिए महत्वपूर्ण है। यदि आप भी पर्यावरण से प्रेम करते हैं और इसे सुरक्षित रखने के लिए कोई विचार प्रकट करना चाहते हैं तो हमारे कमेंट बॉक्स खुले हुए हैं। अपने विचार प्रकट करके आप अपनी राय रख सकते हैं।