Hello Friends, आज Wifigyan.com आप सभी लोगो के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण टॉपिक लेकर आया हूँ जिसका नाम है What is Swaminathan Report? National Commission on Farmers, यह रिपोर्ट किसानो की उन्नति के लिए बहुत लाभकारी है, पर हमारी सरकार इस रिपोर्ट के हिसाब से काम नहीं कर रही है, इसलिए आये दिन किसान आन्दोलन करता रहता है| तो आज हम इस विषय के बारे में विस्तार से समझेंगे की आखिर क्या है स्वामीनाथन रिपोर्ट? दोस्तों इस पुरे आर्टिकल के अंत में हम इसका पीडीऍफ़ भी साँझा कर रहें है इसे आप लोग निचे जाकर डाउनलोड कर सकते है| What is Swaminathan Report pdf हम साँझा कर रहें है वह English भाषा में लिखा गया है, और हम अपने हिंदी भाषा के छात्रो के लिए हिंदी में टाइप कर रहें है|
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What is Swaminathan Report? National Commission on Farmers:-
जानिए किसानो के कल्याण के लिए स्वामीनाथन समिति की क्या रिपोर्ट थी?
भारत को किसानो का देश कहा जाता है और यहाँ की अर्थव्यवस्था की नीव कृिष पर टिकी हुई है यद्यपि भारतीय कृिष आज भी मानसून का जुआ बनी हुई है| शायद यही कारण है की देश के 130 करोड़ आबादी का पेट भरने वाला किसान आज खुद ही भूखा है और कर्ज के तले दबा हुआ है| अब तो हालात इतने बिकट हो गये है की एक किसान सावजािनक रूप से खुद को किसान बताने से कतराने लगा है|
लंदन स्कूल आफ इकोनॉमिक्स में डॉ सुजीत मिश्रा ने एक स्टडी की थी “Farmers’ Suicides in India, 1995-2012: Measurement and interpretation” इस स्टडी में इन्होंने बताया कि भारत में वर्ष 1995 से 2004 के बीच कुल मिलाकर 156541 किसानों ने आत्महत्या की है इसका मतलब है कि इस दशक में हर साल लगभग 15654 किसानों ने आत्महत्या की है| ज्ञातव्य है कि अशोक दलवाई समिति की रिपोर्ट के मुताबिक अभी भारत के किसानों की औसत आय ₹70976 प्रति वर्ष है भारत सरकार ने इसे 2022 तक दुगना करने का लक्ष्य रखा है|
What is Swaminathan Report? National Commission on Farmers
किसानों की समस्याओं के लिए निम्न कारण जिम्मेदार हैं:-
किसानो के आत्महत्या करने का कई कारण है जो निम्न है-
- ऐसा देखा गया है कि ज्यादातर वही किसान आत्महत्या करते हैं जो की नगदी फसलों की खेती करते हैं क्योंकि नगदी फसलों की बुवाई में लागत अधिक आती है इसलिए किसान बैंकों से आसानी से कर्ज ना मिलने के कारण सूदखोरों से ऊंची दरों पर कर्ज लेते हैं लेकिन जब फसल ठीक नहीं होता है और लोन चुकाने का दबाव बढ़ता है फिर वह आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाते हैं|
- पुरानी तकनीकी के कारण अधिक लागत आना
- सिंचाई की सुविधाओं का अभाव होना
- संस्थागत क्रेडिट की सुविधा ना होना
- मंडियों तक पहुंच ठीक नहीं होने के कारण सस्ते दामों पर खाद्यान्न को कम दामों पर बिचौलियों को बेचने पर मजबूर होना
- प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए कोई भी कारगर उपाय ना होना
- यदि फसल बीमा भी कराया जाता है तो वह प्रीमियम तो भर देते हैं लेकिन मुआवजा नहीं पाता है
- कोल्ड स्टोर की कमी होने के कारण उनको आलू और टमाटर जैसे जल्दी खराब होने वाले फैसले उस समय भी बेचनी पड़ती है जब उनके दाम बाजार में बहुत कम होते हैं|
इतनी बड़ी संख्या में किसानों की आत्महत्या की बढ़ती संख्या को देखते हुए भारत सरकार ने भारत की हरित क्रांति के जनक कहे जाने वाले कृषि वैज्ञानिक श्री एम एस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में 18 नवंबर 2004 को राष्ट्रीय किसान आयोग (National Commission on Farmers) का गठन किया गया था, उन्हीं के नाम पर इस आयोग का नाम स्वामीनाथन आयोग पड़ा|
स्वामीनाथन आयोग के बारे में (About Swaminathan Committee):-
स्वामीनाथन आयोग ने दिसंबर 2004, अगस्त 2005, दिसंबर 2005, और 4 अप्रैल 2006 में क्रमशः 4 रिपोर्ट प्रस्तुत की थी पांचवी और अंतिम रिपोर्ट 4 अक्टूबर 2006 को प्रस्तुत की गई थी, रिपोर्ट में कहा गया कि देश को तेज और आर्थिक समावेशी विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए स्वामीनाथन जी के इस लक्ष्य को 11वीं पंचवर्षीय का मुख्य लक्ष्य बनाया गया था|
- अध्यक्ष:- स्वामीनाथन
- पूर्वकालिक सदस्य:-राम बदन सिंह श्री बाई सिंह नंदा
- अंशकालिक सदस्य:- R.L पिताले , जगदीश प्रधान, चंदा निबंधकर, अतुल कुमार अंजन
- सदस्य सचिव:- अतुल सिंहा
स्वामीनाथन आयोग को निम्न मुद्दे पर विचार करने के लिए कहा गया था:-
- सभी को सार्वभौमिक खाद्य सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए एक ऐसी रणनीति बनाना इसमें कि देश में खाद्यान्न और पोषण सुरक्षा को बढ़ाया जा सके
- देश में कृषि की उत्पादकता लाभप्रदता में वृद्धि करना
- सभी किसानों के लिए कर्ज की उपलब्धता बढ़ाना
- शुष्क और अर्ध शुष्क क्षेत्रों पहाड़ी और तटीय क्षेत्रों में किसानों के लिए विशेष कार्यक्रम का को तलाशना
- कृषि उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने और लागत को कम करने के उपाय सुझाना ताकि उन्हें विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया जा सके
- किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य दिलाने के लिए कोई सुझाव देना|
What is Swaminathan Report? National Commission on Farmers
आइए जानते हैं कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें क्या थी:-
सभी पहलुओं को मद्देनजर रखते हुए स्वामीनाथन आयोग ने अपने कुछ सुझाव सरकार को दिए थे जो कि निम्न है:-
1.भूमि सुधार:-
आजादी के समय से ही देश में भूमि आवंटन असामान्य रहा है| देश में गरीबी स्तर के 50% लोगों के कुल भूमि आवंटन की केवल 3% भूमि थी, जबकि 54% भूमि का आवंटन, 10% अमीरों की थी|
स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट में भूमि सुधारों को बढ़ाने पर जोर दिया गया रिपोर्ट में कहा गया कि अतिरिक्त और बेकार जमीन को भूमिहीनो में बांटो और आदिवासी क्षेत्रों में पशु चराने का हक दिया जाना चाहिए|
2.सिंचाई सुधार:-
भारत में कुल बुवाई योग्य भूमि 141.4 मिलीयन हेक्टेयर का करीब 52% भाग अभी भी सिंचाई की व्यवस्था से वंचित है और वर्षा जल पर निर्भर है पूरे भारत में अभी भी केवल 35% भूमि की नियमित सिंचाई की सुविधा है|
आयोग ने सलाह दी थी कि सिंचाई के पानी की उपलब्धता सभी किसानों के पास होना चाहिए इसके साथ ही पानी की सप्लाई और वर्षा जल के संचय पर भी जोर दिया गया था, आयोग ने पानी के स्तर को सुधारने पर जोर देने के साथ ही कुआ शोध कार्यक्रम शुरू करने की बात भी कही थी इसके अलावा ”मिलियन वेल्थ रिसर्च स्कीम” को प्राइवेट क्षेत्र के माध्यम से विकसित करने के बाद आयोग ने की थी|
3.कृषि उत्पादकता बढ़ाने पर जोर:-
भारत में कृषि उत्पादों के प्रति हेक्टेयर विश्व के अन्य देशों की तुलना में बहुत कम है यदि धान का ही उदाहरण लें भारत में धान का प्रति हेक्टेयर उत्पादन 2929 किलो/हेक्टेयर है लेकिन जापान में 6414 चीन में 6321 और दक्षिण अफ्रीका में 662 किलो/हेक्टेयर है|
आयोग ने कहा कि कृषि क्षेत्र में अनुसंधान और विकास पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है इसके साथ ही आयोग ने कहा था कि कृषि से जुड़े सभी कामों में जन सहभागिता की जरूरत होगी चाहे वह सिंचाई हो जल निकासी हो भूमि सुधार हो जल संरक्षण हो या फिर सड़कों और कनेक्टिविटी को बढ़ाने के साथ शोध से जुड़े काम हो|
4.किसानों के लिए सस्ता कर्ज:-
किसानों को आत्महत्या के लिए मजबूर करने वाला सबसे बड़े कारणों में से एक है इसलिए सरकार को किसानों की समस्या पर जरूरत के हिसाब से ऋण देने की सुविधाओं का विकास करना होगा आयोग ने कहा कि-
- फसल ऋण के लिए 4% की आसान दर पर ऋण की सुविधा उपलब्ध करानी होगी|
- कृषि ऋण को गरीब और जरूरतमंद तक पहुंच सुनिश्चित करना होगा इसके अलावा लगातार प्राकृतिक आपदाओं के बाद किसानों को राहत प्रदान करने के लिए कृषि जोखिम कोष स्थापित करें|
- आपदाओं के दौरान किसानों को ऋण वसूली में छूट और सरकार की ओर से ऋण पर ब्याज की छूट की सुविधा देनी होगी|
5.जैव संसाधनों को विकसित करना:-
भारत में ग्रामीण लोग अपने पोषण और आजीविका सुरक्षा के लिए जल संसाधनों की एक विस्तृत श्रृंखला पर निर्भर करते हैं इसलिए आयोग ने इस दिशा में सुधार करने की आवश्यकता पर बल देने का सुझाव दिया था आयोग ने सुझाया की-
जैव विविधता तक पहुंच के पारंपरिक अधिकारों को संरक्षित करना जिसमें गैर लकड़ी के वन उत्पादों तक पहुंच शामिल है जिसमें औषधि पौधे, तेल पैदा करने वाले पौधे, और लाभकारी सूक्ष्मजीव शामिल है| ब्रांडिंग के माध्यम से खेती के लिए उन्नत जानवर पैदा करना साथ ही मछली पालन और मधुमक्खी पालन जैसे कृषि संबंधित क्रियाओं को बढ़ावा देना|
6.फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य:-
न्यूनतम समर्थन मूल्य के कार्यवाही में सुधार, धान और गेहूं के अलावा अन्य फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था की जानी चाहिए इसके अलावा पीडीएस में बाजरा और अन्य पौष्टिक अनाज स्थाई रूप से शामिल किए जाने चाहिए फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य उसकी उत्पादन लागत से कम से कम 50% अधिक होना चाहिए|
7.किसानों की आत्महत्या की रोक:-
दोस्तों किसानों की आत्महत्या की घटनाओं को रोकने के लिए उन्हें किफायती स्वास्थ्य बीमा प्रदान करें और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर सुविधाओं को ठीक करें राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन को प्राथमिकता के आधार पर इलाकों में और सक्रिय रूप से लागू करें जिन इलाकों में किसान आत्महत्या की घटनाएं ज्यादा हो रही है|
- किसानों की समस्याओं को ठीक से समझने के लिए राज्य स्तरीय किसान आयोग की स्थापना करें जिनमें किसानों भी शामिल हो
- इन किसानों को कृषि के अलावा अन्य साधनों जैसे पशुपालन इत्यादि के द्वारा धन अर्जित के लिए प्रेरित करना होगा|
- वृद्धावस्था पेंशन और स्वास्थ्य बीमा के प्रावधान ठीक से लागू किए जाएं ताकि किसानों में सामाजिक असुरक्षा की भावना पैदा ना हो|
इस प्रकार ऊपर दिए गए सात बिंदुओं से स्पष्ट हो जाता है कि स्वामीनाथन कमीशन ने किसानों की हर तरह की समस्याओं का समाधान करने के लिए अपने सुझाव दिए थे कुछ सुझाव को सरकार द्वारा लागू भी कर दिया गया था किसानों की समस्याएं राजनीतिक दलों को इतनी खास नहीं लगती जितनी होनी चाहिए इसलिए राजनीतिक इच्छा शक्ति के अभाव में इन सभी सिफारिशों को लागू नहीं किया गया और किसान राजधानी में सड़कों पर प्रदर्शन करते हुए घूम रहे हैं इस बात की संभावना भी कम दिखाई देती है कि सरकार इनके कल्याण के लिए कुछ जरूरी कदम उठाएंगे|
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